मुसलमान भारत के मुलनिवासी है और ब्राम्हण विदेशी हैं: मौलाना सज्जाद नौमानी, वामन मेश्राम BAMCEF
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भारत मुक्ति मोर्चा सम्मेलन में बोलते हुए बामसेफ प्रमुख वामन मेश्राम और मौलाना सज्जाद नोमानी ने मीडिया को चैलेंज करते हुए कहा कि मेरा भारत के सभी पत्रकार और मीडीया को चैलेंज है कि अगर आपके शरीर मे कोई एक बुंद खुन मै भी इमानदारी बची हो तो अपने चैनल पर इस विषय की चर्चा सत्र का आयोजन करें।
भारत की जनता को जानने दो सत्य क्या है ?
आप कितने दीन तक इस सच्चाई से भागोगे ?
इतना बडा आरोप ब्राम्हणो पर लगाया जा रहा हे तो ब्राम्हणो ने यह सिद्ध करना चाहीये कि वो विदेशी नही हैं। ब्राम्हणो को इस सांगीन आरोप के विरोध मे न्यायालय जाना चाहिए। पर अश्चर्य इस विषय पर RSS, BJP भी खामोश है । तीन तलाक, घर वापसी, लव जिहाद, सोनु निगम से गंभीर विषय यह है कि ब्राह्मण विदेशी है या स्वदेशी?
अगर विदेशी है तो फिर भारत पर राज कैसे कर रहा है ?
अगर ब्राह्मण विदेशी नही है तो फिर आरोप लगने पर वो खामोश क्यों है? मुसलमानों पर जब- जब झूठे आरोप लगते है सारी मुस्लिम संघटनाए, धर्म गुरू , नेता उस आरोप का पूरी शक्ति से खंडन करते है। परंतु ब्राह्मणो को विदेशी कहने पर किसीने भी इस आरोप का खंडन नही किया है। जान बूझकर यह विषय टाला जाता है क्यो ?
अगर हा तो फिर क्यों टाला जाता है? किसी भी ब्राह्मण की TC पर जाती ब्राह्मण ही लीखी होती है। ब्राह्मण जाति हिन्दू नही लिखता। यानी ब्राह्मण हिन्दू नही है और शुद्र भी नही है।
फिर अखिर यह ब्राह्मण है कौन ?
ब्राह्मणों का हिंदुओं के शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक समस्या के समाधान के लिय आज तक का क्या योगदान है? आज हिन्दू किसान भूख से परेशान होकर खुदकुशी कर रहा है। संसद भवन के सामने (तमीळनाडू) किसान अपनी पीड़ा से अवगत कराने के लिए पुरा नंगा हो चुका है।
यहाँ तक कि मल मूत्र पीकर अपना दुख बताने पर मजबुर हुआ। फिर भी ब्राह्मणों की पेशानी पर कोई बल नही पडता। आखिर क्या बात है कि ब्राह्मण हिंदू किसान की पीड़ा देखकर भी व्यथित नहीं होते? आज लाखों हिंदू किसान खदकुशी कर रहे हैं, बच्चे कुपोषण से मर रहे हैं। इलाज के लिय पैसे नहीं हैं। इसलिए गरीब अस्पताल के बाहर तड़प कर मर रहा है। करोडो हिंदू युवक बेरोजगार हैं।
इन सारी हिंदुओं की समस्या के ननिवारण में ब्राह्मणों का क्या योगदान है? आजतक कभी ब्राह्मण महासभा ने हिन्दुओ के सामाजिक, शैक्षणिक आर्थिक विकास के लिय कोई हिंदू विकास परिषद का आयोजन किया क्या?
अगर नहीं तो क्यों नहीं किया?
ब्राह्मणों को हिंदूओ का विकास नहीं करना है क्या? हिंदू अपने कोई लगते नहीं क्या? या फिर ब्राह्मण ही यहाँ भारत का मूलनिवासी ना होने से हिन्दुओ को मरता हुवा देख उन्हे कोई दुख नही होता?
इसलिए कि हिंदूओ से सिर्फ सांप्रदायिक दंगे ही कराना है क्या? फिर मराठा हिंदूओ के आरक्षण के लिय पाकिस्तान आंदोलन करेगा क्या? धनगर हिंदूओ को आरक्षण दिया जाये इसके लिए अफगाणिस्तान उपोषण करेगा क्या? हचकर, जाट, पटेल, गुज्जर, यादव आदि को आरक्षण मिले इसके लिए इराक ने मोर्चे निकालने चाहिए क्या?
मंडल आयोग ने कहा कि OBC की जातिवार जनगणना, इसके लिए दुबई के लोग जेल भरो आंदोलन करेंगे क्या? नही हरगिज नहीं भारत की जनता की समस्या के लिय विदेशी क्यों आंदोलन करेंगे? भारत की जनता की पीड़ा से विदेशियों को क्या लेना?
अगर ब्राह्मण भारत के मूलनिवासी हैं तो वो हिंदूओ के आंदोलन को समर्थन क्यों नही देते?
अगर हिंदू ब्राह्मणों के कहने पर दंगे कर सकते हैं, तो फिर ब्राह्मण हिंदूओ के आरक्षण के लिए किसानों के कर्ज माफी के लिय आंदोलन क्यों नहीं कर सकते? जब सत्ता ही ब्राह्मणों के पास है फिर हिंदू किसानो को क्यों आत्महत्याएँ करनी पड़ रही हैं? क्यों मराठा, जाट, पटेल, धनगर, गुज्जर रास्ते पर आ रहे हैं?
हिंदूओ को आरक्षण देने से कौन सा मुसलमान ब्राम्हणों को रोक रहा है? अब इस पर भी कोई मुस्लिम हिंदूओ के आरक्षण के सभर्थन में आता है तो ब्राह्मण कहते है इन्हें पाकिस्तान भेज दो।
अगर मुसलमान यह कहता है कि किसानो कर्ज माफी होना चाहिए। तो वे कहते है मुसलमान आतंकवादी है, देशद्रोही है इन्हें पाकिस्तान भेज दो। अब हिंदूओ के समर्थन मे ब्राह्मण भी नही आयेगा और मुसलमानों को भी नही बोलने देगा, तो क्या हिंदूओ के समर्थन मे चीन, जापान बोलेंगे क्या?
बात स्पष्ट है जिनके पुर्वजो ने महात्मा बस्वेश्वर महाराज को नही स्वीकारा, संत तुकाराम, संत कबीर, संत रविदास, छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज, शाहु महाराज, महात्मा फुलेजी, सावित्री मॉ फुले, बाबासाहेब अंबेडकरजी को नही स्वीकारा, उनके वारिस हमे स्वीकार करेंगे क्या?
ब्राह्मणों को मुख्तार अब्बास नकवी, शाह नवाज हुसैन जैसा मनुवादी मुसलमान दामाद तो चलता है लेकीन शिव-शाहु-फुले-अंबेडकरजी के बहुजन विचार धारा का मुसलमान नही चलता।
(नोट- आज तक भारत के किसी भी ब्राह्मण ने मुख्तार अब्बास नक़वी और शाह नवाज हुसैन जैसे मुसलमान दामादो का विरोध नही किया है। किसी ने यह नही कहा के यह लव जिहादी है इन्हें पाकिस्तान भेज दो। याने जो दामाद है उन्हें रहने दो और जो दामाद नही है उन्हें पाकिस्तान भेज दो? यानी भारत मे मुसलमानों को अगर रहना होगा तो उन्हें ब्राह्मणों का दामाद बनना ही होगा?)
मेरा उद्देश्य यह है के अब यह बात साफ होनी चाहिए कि हिंदू-मुस्लिम और ब्राह्मण-हिंदू संबंध स्पष्ट होना चाहिए। भारत के 25-30 करोड़ कबाड बेचने वाले फल-सब्जियाँ बेचने वाले मजदुरी-हमाली करने वाले, चुड़ियाँ बेचने वाले, गुब्बारे बेचने वाले पंक्चर निकालने वाले, मोटर दुरूस्त करने वाले आदि मुसलमान आये तो आए कहाँ से?
अगर यह मुसलमान बाहर के मुस्लिम देशो से आये हैं, तो फिर भारत में जो मुसलमानो की जातियाँ पायी जाती हैं- बागबान, अतार, मणीयार, तांबोली, लाला, मंसुरी, छप्परबंद, जुलहा, नाईकवाडी, यह जातियाँ सिर्फ भारत में ही क्यों पायी जाती हैं?
मुस्लिम देशो मे क्यो नही कोई बागबान, छप्परबंद जाति नहीं मिलती? अगर मान लो मुसलमान बाहर से आये भी हों तो कितने? फिर 700-800 सालों में मुसलमानो की संख्या 25-30 करोड कैसे हो गई? 15-20% कैसे? और अगर ब्राह्मण भारत का मूलनिवासी है तो फिर ब्राम्हण मात्र 3% ही कैसे?
(भारत के 97% मुस्लिम ब्राम्हणवाद के अन्याय अत्याचारी वर्णव्यवस्था को त्याग कर समतावादी इस्लाम स्वीकार कर धर्मांतरित हैं। यानि भारत का मुस्लिम भारत का मूलनिवासी ही है)
अगर ब्राम्हण भारत का मूलनिवासी है तो फिर हजारों साल से भारत में होकर ब्राम्हण 3% ही क्यों है?
यह पहेली तो मुझे समझ में नहीं आ रही है। अगर यह पहेली सुलझे तो भारत की सभी समस्या का समाधान हो जायेगा। मुझे तो लगता है नाम बदलकर हिंदू बनकर हिटलर ही भारत पर राज कर रहा है। वैसे भी कहा जाता है हिटलर ने ही खुद को किडनेप किया था दुनिया को मूर्ख बनाने के लिय। अब हम हिंदू (शुद्र) –मुस्लिम, भाई-भाई कहें या ब्राम्हण (श्रेष्ठ)- हिंदू (शुद्र) भाई-भाई कहें? भारत मेरा देश है सारे शुद्र भारतीय मेरे भाई हैं।
… .जय भारत …..